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भूमंडलीय जल संकट के कुछ महत्त्वपूर्ण कारकों में बढ़ती जनसंख्या और खाद्य पदार्थ, नकदी फसल की बढ़ती माँग, शहरों की अपार वृद्धि तथा जीवन स्तर में अनवरत सुधार है। मानव हस्तक्षेप की वजह से मीठा पानी हमेशा मिल पाना संभव नहीं है। प्राकृतिक नियम के विपरीत अत्यधिक दोहन करेंगे तो स्वच्छ जल बनने की प्रक्रिया ध्वस्त हो जाएगी और सूखाहीसूखा दिखेगा। कई देशों में जल स्तर काफी नीचे चला गया है, उत्तरी चीन, अमेरिका और भारत इसके उदाहरण हैं। भारत के बहुत सारे हिस्सों में जल स्तर तकरीबन 300 मीटर से अधिक नीचे चला गया है। एक समय ऐसा आएगा कि पानी की कमी के कारण खाद्यान्न की खेती संकट में पड़ जाएगी। धरातल पर पाए जानेवाला पानी प्रदूषित हो रहा है, क्योंकि किसान जहरीले रसायन का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं शहरों के पास उद्योग के अपशिष्ट और घरों के गंदे पानी का बहाव धड़ल्ले से नदियों में छोड़ा जा रहा है। पर्यावरणविदों का मानना है कि इससे बड़े पैमाने पर वन नष्ट हो जाएँगे। लोगों का विस्थापन होगा। जल की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, जलवायु परिवर्तित होगा, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। इस भयंकर स्थिति से उबरने का एक ही उपाय है कि हम जल के महत्त्व को समझें और इसे न दूषित करें, न व्यर्थ करें बल्कि इसका संरक्षण करें। जल के महत्त्व को रेखांकित करती, इसके सरंक्षण के प्रति चेतना जाग्रत् करती विचारपूर्ण कृति।
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Water Resources;