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लालू प्रसाद ने विधायक, पार्षद, सांसद और मंत्री बनाने के एवज में जहाँ रघुनाथ झा, कांति सिंह जैसे अनेक नेताओं से जमीन-मन दान में लिखवा लिये, वहीं भ्रष्टाचार से कमाए काले धन को सफेद करने के लिए बीपीएल श्रेणी के ललन चौधरी, रेलवे के खलासी हृदयानंद चौधरी तथा भूमिहीन प्रभुनाथ यादव, चंद्रकांता देवी, सुभाष चौधरी तक से नौकरी, ठेका या अन्य लाभ पहुँचाने के एवज में कीमती जमीन-मन दान के जरिए हासिल कर लिये। लालू परिवार ने अपने रिश्तेदारों को भी बेनामी संपत्ति हासिल करने का माध्यम बनाया। भाई के समधियाने, अपनी ससुराल, बेटी के ससुराल के रिश्तेदारों के नाम से पहले अपने काले धन से जमीन-मन खरीदे और बाद में पत्नी, बेटों व बेटियों के नाम गिफ्ट करवा लिये। ऐसे करीब एक दर्जन मामले उजागर हुए हैं, जिनमें लालू परिवार ने करोड़ों की संपत्ति कौडि़यों के दाम पर राजनेताओं, अपने कारिंदों या रिश्तेदारों से दान करवा ली। इसके अलावा लालू प्रसाद ने संपत्ति हथियाने में आधा दर्जन से ज्यादा मुखौटा कंपनियों (shell companies) का इस्तेमाल करने में राबर्ट वाड्रा को भी मात कर दिया। पत्नी, बेटों, बेटियों के लिए ही नहीं आनेवाली तीन-तीन पीढि़यों के लिए संपत्ति बटोरने की हवस का नाम है लालू प्रसाद|
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