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नंद किशोर गर्ग की राजनीतिक एवं सामाजिक यात्रा में अनेक अविस्मरणीय पड़ाव हैं। डॉक्टर साहब का संपूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी किसी भी परिस्थिति से समझौता नहीं किया, बल्कि बेबाकी के साथ अपनी बात को सबके समक्ष रखा। ‘राष्ट्र प्रथम' के सिद्धांत को उन्होंने अपने जीवन में गहरे से आत्मसात् कर रखा है। अचानक राजनीति से संन्यास की घोषणा के बाद उन्होंने सामाजिक सेवा को अपना ज्यादा-से-ज्यादा समय देने का फैसला किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा जो कार्य किए गए, वे दिखाते हैं कि आज के युग में शिक्षा को मुनाफे का माध्यम न बनाकर उसे सहकारिता के आधार पर संचालित करने से राष्ट्र का विकास होगा। डॉ. नंद किशोर गर्ग की जीवनगाथा में बहुत सी खट्टी-मीठी बातें हैं। सहज-सरल भाषा-शैली, स्पष्टवादिता, भावनाओं का प्रवाह और आम आदमी की शब्दावली उनकी आत्मकथा को पठनीय बनाती है। सेवा, समर्पण, सहकार और सामूहिकता के प्रति समर्पित प्रेरक व्यक्तित्व की यह आत्मकथा पाठकों को समर्पण व 'राष्ट्र सर्वोपरि' का मूलमंत्र बनाने के लिए प्रेरित करेगी
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Inspiration;
Self Motivation;