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हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली के नगरीय प्रशासन की यात्रा सन् 1862 में प्रारंभ हुई। आजादी के बाद सन् 1958 में वृहद अधिकारों के साथ दिल्ली नगर निगम की स्थापना हुई। दिल्ली को सजाने, सँवारने व सौंदर्यीकरण में निगम की अग्रणी भूमिका रही है। दिल्ली की सबसे ऊँची इमारत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर निगम की कीर्ति का अनुपम उदाहरण है। हिंदुस्तान के सबसे बड़े निगमों में दिल्ली नगर निगम की गिनती होती है। नियमित शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण व शहरीकृत गाँव, अनधिकृत कॉलोनियाँ व अनधिकृत नियमित कॉलोनियाँ तथा पुनर्वास क्षेत्र—सभी के लिए निगम एक सेवादार की भूमिका में तत्पर है। दिल्ली व्यापारिक केंद्र है, साथ ही विज्ञापन जगत् के लिए एक आकर्षण भी। विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर नागरिक सुविधाएँ प्रदान करने व उच्च स्तर के निर्माण में निगम को महारथ हासिल है। बिजली, पानी, सीवर, परिवहन, अग्निशमन, सफाई, स्वास्थ्य, बागवानी, प्राथमिक शिक्षा, भवन निर्माण व संपत्ति कर जैसे सभी प्रमुख क्षेत्र दिल्ली नगर निगम की शक्ति का एहसास कराते थे, लेकिन बीते समय के साथ बिजली, पानी, सीवर, परिवहन व अग्निशमन निगम के अधिकार से बाहर हो जाने से निगम की शक्ति कुछ क्षीण-सी हो गई। गौरवशाली अतीत व अद्भुत शिल्प कौशल दिल्ली नगर निगम की धरोहर हैं। केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल के बीच इस पर नियंत्रण रखने की उत्कंठा सदैव ही बनी रहती है। निगम रूपी रंग-बिरंगी बगिया में फूलों के साथ कुछ काँटे भी होते हैं, लेकिन फिर भी दिल्लीवालों के लिए एक भरोसे का नाम है—दिल्ली नगर निगम।.
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