Bhishma Ki Atmakatha

Bhishma Ki Atmakatha

₹ 404 ₹500
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  • ISBN: 9789386001436
  • Author(s): Laxmipriya Acharya
  • Publisher: Prabhat Prakashan (General)
  • Product ID: 573531
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out
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About Product

जिस दिन इस धर्मयुद्ध के लिए दोनों पक्ष सम्मत हुए, पुरुवंश के सिंहासन पर अभिषेक के लिए पंचतीर्थों के पवित्र जल की बजाय मनुष्य के ताजा और उष्ण रक्त डालने को सन्नद्ध हुए, उस दिन क्या नियति की अदृश्य चोट नहीं सही मैंने? जीवन भर काँटों का मुकुट पहनकर पृष्ठ भाग में खड़ा रहा, काँटों भरी राह पर चला, बारंबार रक्ताक्त हुआ। मन और आत्मा दोनों बार-बार घायल हुए हैं। यह दुःखद इतिहास कोई नहीं जानता। कौरवों की सुख-सुविधाएा और सुरक्षा के लिए स्वयं ढाल बनकर सन्नद्ध रहा; परंतु नहीं बचा सका उन्हें। सब सहकर भी विफल रहा। यह विफलता ही मेरी पराजय है। यह पराजय ही मेरा पतन है। यह पतन ही मेरी मृत्यु है! —इसी उपन्यास से आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया यह उपन्यास पितामह भीष्म के संपूर्ण जीवन की गाथा है। अपनी भीषण प्रतिज्ञा के कारण वे देवव्रत से ‘भीष्म’ कहलाए। वे कौरवों और पांडवों में वरिष्ठ, ज्येष्ठ, अग्रगण्य व पूज्य थे। संपूर्ण आर्यावर्त उनके बल-विक्रम से परिचित था। महर्षि परशुराम जैसे प्रचंड योद्धा भी उन्हें युद्ध में पराजित न कर सके थे।...फिर भी उनका जीवन कितनी विवशताओं और प्रवंचनाओं से भरा था! यथार्थतः पितामह भीष्म की मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी जीवन-गाथा है यह कृति।.

Tags: History; Mythology; Religious;

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