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अनेक राजनेता, इतिहासकार और जिज्ञासु एक प्रश्न उठाते रहे हैं। आखिर गांधीजी ने 1946 में सरदार पटेल का नाम वापस करवाकर नेहरू को कांग्रेस का य क्यों बनाया? जबकि 15 में से 13 प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों ने सरदार पटेल का नाम प्रस्तावित किया था और नेहरू का नाम कहीं से नहीं आया था। गांधीजी जानते थे कि जो अभी कांग्रेस य बनेगा, वही देश का प्रधानमंत्री भी बनेगा। तब उन्होंने अपने ‘हिंद स्वराज’ के सिद्धांतों से असहमति जतानेवाले नेहरू के हाथों देश की बागडोर सौंपने का निर्णय क्यों लिया? यह भी विचारणीय है कि गांधीजी अपने जीवनकाल में ‘हिंद स्वराज’ में प्रस्तुत अपने सपने को कितनी मात्रा में साकार कर पाए? यदि गांधीजी जैसा महान् व्यक्तित्व वह नहीं कर पाया तो क्या उनके बाद नेहरू से उसकी अपेक्षा की जा सकती थी? इस पुस्तक में इन प्रश्नों के आलोक में गांधीजी के जीवन-दर्शन और उनकी मूल निष्ठाओं को समझने का प्रयास किया गया है।.
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Political Science;
Theories;