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यह पुस्तक लेखक की फिल्मी दुनिया, यानी मुंबई में रहकर जीना सीखने का लिखित दस्तावेज है, जिनका कई फिल्मी हस्तियों से संपर्क रहा। फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे के साथ-साथ फिल्म आर्कइव, फिल्म से जुड़ी लाइब्रेरी, फिल्म लेखक, गीतकार, म्यूजिक डायरेक्टर, एक्टर, चरित्र अभिनेता, कैमरामैन, स्क्रिप्ट राइटर, स्टोरी राइटर, प्रसिद्ध राइटर, प्रोड्यूसर, निर्माता, निर्देशक, फाइनेंसर, डिस्ट्रीब्यूटर, अर्थात् ज्ञान और अनुभव हेतु लेखक को जहाँ और जिनसे मिलने की संभावना बनी, वे वहाँ पर बेहिचक पहुँचकर उसे समझने और हासिल करने की कोशिश में जुट गए। कुछ पुराने अनुभव हटते गए, नए अनुभव जुटते गए और लेखक चिंतन की गहराई में डूबते हुए इस मोड़ पर पहुँचा कि अपने छोटे से, किंतु संघर्षमय अनुभव को आनेवाली पीढ़ी के सामने रखने का यह उपक्रम किया। फिल्मों के विभिन्न स्वरूपों पर विस्तृत व्यावहारिक जानकारी देनेवाली प्रामाणिक पुस्तक, जो फिल्मों के शौकीनों के साथ-साथ शोधार्थियों के लिए भी समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।
Tags:
Cinema;
Stories;