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इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में भारत ने विकास दर की जिस द्रुत गति को प्राप्त किया था, 2014 आते-आते वह उसमें काफी पिछड़ गया। ऐसी आवश्यकता महसूस की गई कि इस स्थिति को पलटने के लिए नई दिल्ली को विभिन्न प्रकार के विषयों पर अपने नीति संबंधी विकल्पों पर गंभीर चिंतन करना चाहिए। ‘भारत वापस पटरी पर’ काफी हद तक 2014 के आम चुनावों के समय लिखी गई, जब आम जनता के बीच यह चर्चा हो रही थी कि हमारे देश को उच्च विकास के पथ पर फिर से लाने के लिए अगली सरकार को किस प्रकार के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख सेक्टर में नीतियों की सिफारिश के लिए यह भारत के कुछ सबसे कुशल विश्लेषकों को एक मंच पर लेकर आया है। यहाँ सबको मिलाकर संक्षिप्त सुझावों के साथ नीति निर्माताओं और आम लोगों के सामने भारत के भविष्य के लिए एक स्पष्ट खाका पेश किया गया है। कुल मिलाकर यह पुस्तक आशावाद जाग्रत् करती है कि विषमताओं को दूर करके ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र को हृदयंगम कर दूरदर्शी, कठोर व व्यावहारिक निर्णय लेकर वर्तमान केंद्र सरकार ने विकास की पटरी पर भारत को वापस ला खड़ा किया है|
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Fiction;