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पिछले तेजी के दौर में जब सेंसेक्स 3, 000 के निचले स्तर से चढ़कर 6, 000 और 7, 000 से होता हुआ 21, 000 तक पहुँचा था, सबको यही लगा कि यह शेयरों के अधि-मूल्यांकन को प्रतिबिंबित करता है और बाजार का गिरना तय है। यह तीन साल तक लगातार जारी रहा। जिन लोगों ने वर्ष 2013-14 के दौरान बाजार में प्रवेश किया है, वे एक मायने में भाग्यवान् हैं। वे इस दौड़ में तब शामिल हुए, जब भाव चढ़ने आरंभ ही हुए हैं। इस अवधि में सेंसेक्स बिना सुधार के और लगभग निर्बाध रूप से 21, 000 से 27, 000 तक पहुँच गया। लंबे समय बाद बुद्धिमत्तापूर्ण सुधार के पश्चात् मार्च 2014 के बाद बाजार चढ़ना आरंभ हो गया और जाहिर है कि यह कई सालों तक जारी रहनेवाला है। ऐसे दुर्लभ काल में लोगों को अपनी पुरानी बुरी स्मृतियों से बाहर आना होगा और इस बात पर विश्वास जमाना होगा कि नया चक्र आरंभ हो चुका है और आनेवाले समय में अच्छे दिन जारी रहेंगे। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने हर तरह के आकार व उद्देश्यवाले निवेशकों को ध्यान में रखते हुए भारतीय शेयर बाजार की कार्यशैली का सरल व संक्षिप्त रूप में समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। विभिन्न उदाहरणों में नवीनतम आँकड़े शामिल करने से पाठकों को शेयरों में निवेश संबंधी विभिन्न बुनियादी अवधारणाओं को समझने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि यह पुस्तक सभी पाठकों के लिए एक गाइड बनकर दिशा-निर्देश देगी, जिससे वे अपनी दीर्घावधिक वित्तीय सुरक्षा के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।.
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