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भारतीय संस्कृति की मौलिकता ‘एकः सद् विप्रा बहुधा वदन्ति’ से स्पष्ट होती है। हमारे मनीषियों ने कहा कि ईश्वर एक है, परंतु विद्वानों द्वारा उसे अन्यान्य प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। यह वह संस्कृति है, जिसने पूरे संसार में सत्य, प्रेम और करुणा की स्थापना की। जहाँ आज विश्व बाजार बन गया हो, वहाँ भारतीय दर्शन विश्व को परिवार मानता है। वसुधैव कुटुम्बकम कहने की उदारता अन्यत्र कहाँ? माताभूमि पुत्रो अहं पृथिव्याः। हे पृथ्वी माँ! हम सब आपके पुत्र-पुत्रियाँ हैं, अतः आपस में भाई-बहन जैसे ही हैं। एक परिवार हैं आपस में सभी संसारवासी। भारतीय संस्कृति के मूल में ही सेवा और कर्तव्य है। धर्म और कर्तव्य को अलग करके नहीं देखा जा सकता। 26 मार्च, 2015 को ‘ऑपरेशन राहत’ की घोषणा भारत सरकार ने की। जिसका नेतृत्व जनरल वी.के. सिंह ने किया। अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में भारत ने 4741 भारतीय नागरिक और 48 देशों के 1947 नागरिकों को सकुशल बचाया। पूरा अभियान रोमांचकारी था और खतरों से भरा हुआ, जिसमें हमारे जाँबाज सैनिकों ने प्राणों की बाजी लगाकर 100 प्रतिशत लोगों का बचाव किया। नेतृत्व की सफलता रही कि जनरल वी.के. सिंह पूरे अभियान में यमन में ही डटे रहे और पूरे अभियान में, ऑपरेशन में एक भी अप्रिय (मृत्यु) खबर नहीं आई। इस अभियान की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री मोदीजी और विदेश मंत्रालय का नेतृत्व कर रहीं सुषमा स्वराजजी को जाता है जिन्होंने पूरे समय अभियान को उचित मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान किया।
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