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‘पर्वत-पुरुष: दशरथ माँझी’ एक ऐसे कर्मवीर पुरुष की कहानी है, जिसने स्वहिताय नहीं, परोपकारार्थ एक असंभव कार्य को संभव कर दिखाया। अपनी दृढ़ इच्छा, कड़ी मेहनत और मजबूत इरादों के अस्त्र-शस्त्रों से गहलौर पहाड़ के घमंड को चकनाचूर कर दिया। अपनी प्रिया के कष्ट निवारण के लिए उसने जो प्रण लिया वह श्रम का महायज्ञ बन गया, जिसकी परिणति पहाड़ की छाती के बीच से 30 फीट चौड़ी और 360 फीट लंबी सड़क के रूप में हुई। निःसंदेह दशरथ माँझी एक ऐसे विराट् पुरुष हैं, जिनसे वर्तमान ही नहीं, आनेवाली पीढि़याँ परोपकार, दृढ़ इच्छाशक्ति और पहाड़ सी मुसीबतों से भी न घबराने की हिम्मत और प्रेरणा लेती रहेंगी।.
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Autobiography;
Social;