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बहुत समय पहले की बात है, दो भाई थे। एक का नाम कासिम था और दूसरे का नाम अली बाबा। कासिम अमीर था और उसका जीवन खुशहाल था, जबकि अली बाबा को अपना गुजारा करने के लिए जंगल से लकड़ी काटकर उन्हें शहर में बेचना पड़ता था। एक दिन जब अली बाबा जंगल में था तो उसने चालीस चोरों को एक गुफा के सामने खड़े देखा। चोरों के सरदार ने कहा, ‘‘खुल जा सिमसिम।’’ और अली बाबा की अचंमिभ नजरों के सामने गुफा का बंद मुँह जादुई रूप से खुल गया। सभी डाकू गुफा के भीतर चले गए। बाहर आने पर सरदार ने कहा, ‘‘बंद हो जा सिमसिम।’’ गुफा एक बार फिर अपने आप बंद हो गई। उत्तेजना में काँपते हुए अली बाबा ने डाकुओं के चले जाने तक इंतजार किया और फिर वही जादुई शब्द बोलकर वह गुफा में प्रवेश कर गया। जब भीतर उसने अथाह खजाना देखा तो उसके उत्साह का ठिकाना नहीं रहा। उसने सोने के सिक्के थैले में भरे और उन्हें लेकर घर आ गया। —पुस्तक से
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