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बचपन और अभिभावकता एक सिक्के के दो पहलू हैं, एक-दूसरे के पूरक हैं । जिस प्रकार श्रेष्ठ और आदर्श अभिभावकता के बिना बच्चों के सुखद व उज्ज्वल भविष्य की नींव नहीं डाली जा सकती उसी प्रकार बच्चों के व्यक्तित्व को निखारने व उनके उज्ज्वल भविष्य की चिंता किए बिना अभिभावता की सार्थकता नहीं । बच्चों के बहुमुखी विकास व उत्थान के लिए अभिभावकों को प्रेम और व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता है, जिनसे उनके नन्हे भविष्य को अपना व्यक्तित्व निखारने में सहायता मिलती है । सही अभिभावकता के लिए समय का उचित प्रयोग और निरंतर प्रयास नितांत आवश्यक है । माता-पिता के सुखद व सामंजस्यपूर्ण व्यवहार और आचार-विचार से बच्चों में अनोखे व्यक्तित्व का विकास होता है । इस पुस्तक में अभिभावकों, छात्र- छात्राओं की समस्या, मार्गदर्शन, शिक्षकों की अहम भूमिका तथा पारिवारिक वातावरण से संबंधित अनुभवों का रोचक वर्णन है । इसमें नकारात्मक स्वभाव, अपने साथी से ईर्ष्या एवं द्वेष- भावना और अनुशासनहीनता आदि बच्चों के स्वाभाविक विकारों को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए तथा साथ ही किस अनावश्यक नियंत्रण का त्याग करना चाहिए-इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है । यह पुस्तक युवा अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ पुस्तक सिद्ध होगी, ऐसा विश्वास है ।.
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Children Book;
Self Help;