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मानवाधिकार और पुलिस व्यवस्था समाज की समस्याओं, जटिलताओं को हल करने की प्रक्रिया में केंद्र बिंदु होते हैं । इस पुस्तक में लेखक ने पुलिस तंत्र, राष्ट्रीय सुरक्षा, मानव अधिकारों की संकल्पना तथा विधि-विधान का विस्तारपूर्वक, सुव्यवस्थित ढंग से प्रतिपादन किया है । इस विवेचन से पुलिस तंत्र को ही नहीं बल्कि आम व्यक्ति को अपने इन मूलभूत अधिकारों की जानकारी मिलेगी । इसके अलावा मानव जाति के इन मूल अधिकारों के संबंध में मौजूद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तथा भारत के संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों की चर्चा करने के साथ-साथ मानव अधिकारों की संकल्पना के विकास, भारत में इसकी पृष्ठभूमि, इन अधिकारों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए पुलिस तंत्र के कर्तव्यों, दायित्वों, जेल व्यवस्था, दंड संहिता के विधान, अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्रों, संकल्पों, यूनेस्को के चार्टर आदि पर विशद रूप से प्रकाश डाला गया है । इससे लेखक के दीर्घ अनुभव, व्यापक जानकारी तथा आतंकवाद जैसी समस्याओं के प्रति उनकी पैनी दृष्टि का परिचय मिलता है । वर्तमान संदर्भ में सरस एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत विषय-वस्तु की उपयोगिता, औचित्य के कारण यह पुस्तक पुलिस तंत्र, न्याय व्यवस्था, सामाजिक एजेंसियों के साथ- साथ जनसाधारण के लिए भी लाभप्रद एवं शिक्षाप्रद सिद्ध होगी ।
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Novel;