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किसी भी विकलांग को देखकर हमारा हृदय उसके प्रति सहानुभूति से भर उठता है । मानसिक यातना, अंतर्द्वंद्व और परिस्थितियों से संघर्ष करता हर विकलांग इस सृष्टि का सबसे निरीह प्राणी है । उसके लिए विकलांगता जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है । उसके मन में भीतर-ही- भीतर कुंठा की ग्रंथियाँ बन जाती हैं और यह दुःख एवं विषाद उसे उम्र भर सालता रहता है । निराशा और हताशा के इस दमघोंटू वातावरण में वह किसी प्रकार साँस लेता-सा और जीवन जीता-सा नजर आता है । ऐसे में आवश्यकता है उसे याद दिलाने की एक अंधे होमर की, किसी अपंग कलाकार अथवा पैरकटे मूर्तिकार की; ताकि उसमें नवजीवन का संचार हो और वह कुछ ऐसा अद्भुत कर दिखाए कि प्रकृति का यह अभिशाप उसके लिए वरदान सिद्ध हो जाए । इस संकलन की हर कहानी विकलांगों की मनोग्रंथि को खोलने और उन्हें कुंठा तथा ग्लानि के अभिशाप रूपी अँधेरे से निकालकर नए प्रकाश में ला खड़ा करने में पूर्णत : सफल है ।
Tags:
Fiction;
Stories;