About Product
पृथ्वीराज चौहान घायल होकर गिर पड़े और अचेत हो गए । फिर घोर युद्ध छिड़ गया । पृथ्वीराज का एक सामंत वहीं लड़ रहा था । नाम था संयम राय । अपने स्वामी की उस दुर्गति को देखकर आपे से बाहर होकर हथियार चलाने लगा । सामना करनेवाला भी बेकाबू हो गया था । युद्ध में संयम राय के पैर कट गए और वह गिर पड़ा । युद्ध कहीं घमासान था, कहीं इखरा-बिखरा । पृथ्वीराज जहाँ घायल और अचेत पड़े थे वहाँ कोई नहीं था । लाशें पड़ी थीं । गिद्धों की बन आई । झपटे लाशों पर । पृथ्वीराज की आँखें फोड़ने और खाने के लिए भी आ गए । संयम राय ने देख लिया । बुरी तरह घायल हो जाने के कारण कराह रहा था । परंतु बलिदानी प्रकृति उभर उठी । संयम राय ने अपनी कमर से छुरा निकाला और कटे पैर की जाँघ से मांस काटकर गिद्धों के सामने फेंक दिया । कराह दब गई, बलिदानी शौर्य ने दबा दी । गिद्धों ने पृथ्वीराज की आँखें छोड़ दीं और संयम राय के मांस के उस कटे टुकड़े पर आ झपटे । संयम राय ने फिर कुछ बोटियाँ गिद्धों को खिलाई और -इसी पुस्तक से प्रस्तुत कहानी संग्रह में लेखक ने रणभूमि में शत्रु सैनिकों के समक्ष भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाए गए प्रचंड पराक्रम को कहानी के रूप में प्रस्तुत किया है । साथ ही-' वैल्वर का विद्रोह ', ' इनकरीम ', ' उस प्रेम का पुरस्कार ', ' टूटी सुराही ',' स्वर्ग से चिट्ठी ' तथा ' गवैए की सूबेदारी ', जैसी ऐतिहासिक कहानियाँ भी संगहीत हैं । वर्माजी की कहानियों का यह संग्रह पठनीय एवं संग्रहणीय-दोनों है।
Tags:
Fiction;
Stories;