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देश की आधी आबादी महिलाओं की है और वे अवसर पाने पर पुरुषों की ही भाँति प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान कर रही हैं। अतएव भारत की शासन व्यवस्था के नियोजन और संचालन में पुरुषों के साथ महिलाओं की भी समान भागीदारी होनी चाहिए, परंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के छह दशकों से अधिक समय बीत जाने और दस पंचवर्षीय योजनाओं के समाप्त हो जाने के बाद भी महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित नहीं की जा सकी है। इसका वैज्ञानिक अध्ययन करते हुए जमीनी हकीकत को सबके सम्मुख प्रस्तुत करने के लिए लेखिका ने अंग्रेजी में ‘पंचायती राज ऐंड वूमेन एंपावरमेंट’ एक पुस्तक प्रकाशित की थी। उस पुस्तक को विभिन्न राज्यों के पंचायती राज से संबंधित पदाधिकारियों ने बहुत सराहा और उसे आदरपूर्वक क्रय किया। आँखें खोल देनेवाली इस पुस्तक के हिंदी संस्करण की भी सतत माँग की जाती रही है। इसी दौरान हालात बदले, महिला सशक्तीकरण के राष्ट्रव्यापी प्रयासों में तीव्रता आई। 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा ने महिला आरक्षण हेतु संविधान संशोधन विधेयक पारित कर दिया। इस बदले परिदृश्य में पाठकों की अपेक्षा की पूर्ति हेतु यह पुस्तक ‘पंचायती राज एवं महिला सशक्तीकरण’ हिंदी में प्रकाशित की गई है। प्रस्तुत पुस्तक हिंदी भाषी राज्यों के पंचायती राज के नियोजकों, प्रकाशकों तथा संबंधित समस्त पदाधिकारियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
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Women Empowerment;