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भारतीय संस्कृति के आधार ग्रंथ—के.एल. चांडक हमारे सांस्कृतिक एवं धार्मिक ग्रंथ मानव के आनंदमय जीवन जीने के आधारस्तंभ रहे हैं। वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता, मनुस्मृति, ब्राह्मण-ग्रंथ, आरण्यक ग्रंथ, सूत्र ग्रंथ, दर्शनशास्त्र आदि ग्रंथ ज्ञान, सदाचार और ईश्वरीय मर्म को समझने का माध्यम रहे हैं। प्राचीन काल में इन ग्रंथों की जितनी महत्ता थी, उतनी आज भी है; लेकिन विरासत में मिले संस्कृति के इन आधारग्रंथों को भूलने की वजह से निरंतर तेजी से चारित्रिक पतन एवं जीवन मूल्यों में ह्रास हो रहा है। गिरते जीवन मूल्यों को पुन:स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि हम इन ग्रंथों को अपने जीवन में स्थान दें। इनका थोड़ा भी अंश हमें सुसंस्कारी बनाने के लिए पर्याप्त है। आधुनिक समय की आपाधापी में संपूर्ण ग्रंथ का अध्ययन शायद आम आदमी के लिए बेहद मुश्किल है। इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में इन सांस्कृतिक ग्रंथों का संक्षिप्त व सरल विवरण दिया गया है। ज्ञान का विशद भंडार, इन ग्रंथों के भावार्थ को हम अपने जीवन में किंचित् मात्र भी उतार पाए तो हमारा जीवन सुख-संतोष से भर जाएगा।
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History;
Culture;
Indian History;