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प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने स्थापित तथ्यों की सरल गलियों के परे जाकर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की बड़ी ही कष्टकारी झलक दिखाई है; युद्धों की बदलती प्रवृत्ति को उजागर करते हुए आतंकवादी कृत्यों से संबंधित विषमता के तत्त्व से निपटने के संबंध में वह एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं और बताते हैं कि किस प्रकार कई वैकल्पिक रणनीतियों को उपेक्षित करते राष्ट्रीय प्रतिक्रिया प्रारूप; अब भी प्रतिशोधात्मक क्षमता के अभाव तथा प्रतिशोधात्मक अति विनाशकारी क्षमता के बीच मँडराते हैं। ऐसे क्षेत्र को खँगालते हुए; जिस पर इस विषय पर लिखनेवाले विद्वानों तथा विशेषज्ञों ने शायद ही पहले कभी ध्यान दिया है; जनरल सहगल का नवीन दृष्टिकोण; खासकर इन विषयों पर; उनके मतों में देखा जा सकता है— पारिभाषिक गतिरोध समाप्त करना; जिससे राष्ट्रों के समूह हिचकिचाते हैं। इराक से परे देखना। आत्मघाती हमलों का बचाव सोचना। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के संकट से निपटने के लिए भावी योजनाएँ । यह पुस्तक सुबोध्य तरीके से उजागर करती है कि विश्व-प्रभुत्व के लिए सभ्यता संबंधी चालबाजी सैमुअल हटिंगटन की प्रसिद्ध प्राक्कल्पना के अस्तित्व में आने से काफी पहले आरंभ हो चुकी थी। जनरल सहगल की पुस्तक ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद’ आतंकवाद के संबंध में संयुक्त राष्ट्र; सरकारों; कूटनीतिज्ञों; विद्वानों; नीति- निर्धारक समूहों; सैन्य तथा इंटेलिजेंस विशेषज्ञों और आम जनता के दृष्टिकोणों पर प्रभाव डालेगी।
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Freedom Fighter;
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