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हिंदी कथा-साहित्य के सुप्रसिद्ध गांधीवादी रचनाकार श्री विष्णु प्रभाकर अपने पारिवारिक परिवेश से कहानी लिखने की ओर प्रवृत्त हुए। श्री विष्णुजी की कहानियों पर आर्यसमाज; प्रगतिवाद और समाजवाद का गहरा प्रभाव है । पर अपनी कहानियों के व्यापक फलक के मद्देनजर उनका मानना है कि ' मैं न आदर्शों से बँधा हूँ न सिद्धांतों से । बस; भोगे हुए यथार्थ की पृष्ठभूमि में उस उदात्त की खोज में चलता आ रहा हूँ ।उदात्त; यथार्थ और सच के धरातल पर उकेरी उनकी संपूर्ण कहानियों हम पाठकों की सुविधा के लिए आठ खंडों में प्रस्तुत कर रहे हैं । ये कहानियाँ मनोरंजक तो हैं ही; नव पीढ़ी को आशावादी बनानेवाली; प्रेरणादायी और जीवनोन्मुख भी हैं ।
Tags:
Fiction;
Stories;