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प्रस्तुत ग्रंथ ‘गीता दर्शन’ ‘गीता’ पर हिंदी भाषा में एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जो पाठकों को ‘गीता’ के विषय को सही-सही समझने में मदद करता है इसमें प्रत्येक शब्द के संस्कृत व्याकरण की व्याख्या करते हुए उसके मूल, शुद्ध और गैर-आलंकारिक अर्थ को समझाया गया है। यह ग्रंथ बेसिक संस्कृत वर्णक्रम के साथ आरंभ होकर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए व्याकरण के सर्वाधिक कठिन भाग तक पहुँचता है, ताकि पाठक ‘गीता’ की संस्कृत सीखने और संस्कृत उद्धरणों से इसे समझने में सफल हो सकें। विवेकशील पाठक प्रत्येक शब्द का शुद्ध अर्थ निकाल सकता है, क्योंकि अर्थ से पहले दिए गए उसके व्याकरण-सम्मत विश्लेषण से उसे सही और शुद्ध अर्थ समझने में मदद मिलती है। इस ग्रंथ का एक अन्य महत्त्वपूर्ण और अनन्य पक्ष ‘गीता’ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर अध्याय, गीता में उद्धृत व्यक्तियों के रेखाचित्र और गीता से जुडे़ व्यक्तियों के वंशवृक्ष के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी, जिसे लेखक ने ‘महाभारत’ में उपलब्ध जानकारी का उपयोग करते हुए बडे़ ही कौशल और मनोयोग से चित्रित किया है। यह ग्रंथ ‘गीता’ के पाठकों के लिए बहुत उपयोगी और पठनीय है, चाहे वे नवशिक्षु हों या विद्वान्। यह सामान्य पाठकों और विद्यार्थियों, विद्वानों तथा लेखकों के लिए संदर्भ ग्रंथ के रूप में बहुत उपयोगी है।
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