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रतीय वाङ्मय में महापुरुषों के जीवन-वृत्त पर, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित, आधृत अभिनंदन-ग्रंथ और स्मृति-ग्रंथ समर्पित करने की एक सुदीर्घ एवं समृद्ध परंपरा रही है, ताकि भावी पीढ़ी, जन-मानस अभिनंदित, स्मारित व्यक्ति कृत्यों, कृतियों व आदर्शों से प्रेरणा ग्रहण कर सके, उनके विराट् व्यक्तित्व में अपने को सन्निहित करने के लिए हृदयंगम कर सके। किस तरह एक व्यक्ति सार्वजनिक जीवन के प्रश्नों को, संघर्षों को कभी व्यक्तिगत आरोहों-अवरोहों से संलिप्त, संपृक्त नहीं कर पाया। सामाजिक न्याय और समाजवाद के लिए अपनी उत्सर्गता के लिए विख्यात जनप्रिय इस व्यक्ति ने पीडि़त मानवता के उद्धार के लिए, जनता की अमूर्त भावनाओं को परखकर सियासत करने के लिए और उसे मूर्त रूप देने के लिए क्या कुछ किया, उसका अनुपम प्रत्यक्ष कराना ही इस स्मृति-ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य है। इसी अभीष्ट की अभिपूर्ति के लिए, महात्मा गांधी के त्याग, आंबेडकर के सिद्धांत, लोहिया के सद्विचार और जे.पी. की संघर्षशीलता-धैर्यता के समवेत अंश जननायक कर्पूरी ठाकुर के समग्र पक्षों को दुर्लभ दस्तावेजों को सहेजने, समेटने, संकलित करने का सार्थक प्रयास है यह ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मृति-ग्रंथ’। इस ग्रंथ में यह तथ्य सबों के समक्ष परोसने की चेष्टा की गई है कि इस शब्दपुरुष ने अपने संबोधन में प्रेरणा की ज्योति को किस तरह छिटकाया, बलिदानी राष्ट्रनायकों को भी किस तरह नमन किया! यह सर्वमान्य सत्य है कि जननायक के अंतस में लोकमंगलकार की सुदृढ़ भावना एक स्थायी भाव के रूप में विराजमान रहती थी, उनका यह अंतर्भाव अनायास संबोधित समाज तक संक्रमित हो जाता था। जनता में उनकी अपार आस्था, श्रद्धा और अटल विश्वास को भावी इतिहास पीडि़त मानवता के पृष्ठों पर असीम ऊर्जा और कर्मठता से लिखेगी। भारतीय राजनीति और सामाजिक सद्भाव को समर्थता प्रदान करने में इस देदीप्यमान नक्षत्र के विभिन्न आयामों का दिग्दर्शन कराना इस स्मृति-ग्रंथ का अभिप्राय है। इस स्मृति-ग्रंथ में सहज-सरल भाषा में व्यक्त रचनाएँ सामान्य साक्षर जनों तक लोकदेव कर्पूरी ठाकुर की सर्जनात्मक क्षमता, व्यक्तित्व की विशालता को प्रभावी स्वर प्रदान करने में सर्वभावेन समर्थ होती जान पड़ती है।.
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