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कथावस्तु, चरित्र-चित्रण, संवाद, देश-काल, भाषा-शैली, उद्देश्य, अभिनेयता एवं संकलन-त्रय एकांकी नाटक के प्रमुख तत्त्व हैं। इनमें संकलन-त्रय का निर्वाह एकांकी नाटक के लिए अनिवार्य है। संकलन-त्रय से तात्पर्य स्थान, समय और कार्य की एकता से है। बालकों के मनोरंजन, मार्गदर्शन एवं ज्ञानवर्द्धन के लिए बाल नाटकों एवं बाल एकांकियां का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यदि प्रस्तुत बाल एकांकी संग्रह अपने उद्देश की पूर्ति मं तनिक भी सहायक हो सका तो हम अपने प्रयास को सफल एवं सार्थक समझेंगे। खट्टी-मीठी पाठकीय प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में— —रोहिताश्व अस्थाना|
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Stories;