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विष्णु प्रभाकर संतोष गोयल अपनी कहानियों में परंपरागत साँचे की चिंता नहीं करती। इन कहानियों में न आदी है, न अंत। वह सहज-सरल भाषा में वातावरण निर्माण करती है। डॉ. नामवर सिंह संतोष की कहानियाँ परंपरागत कथानक की अवधारणा को तोड़कर निकली हैं। ये सच्चे अनुभवों की जीवंत व प्रभावशाली कहानियाँ हैं, जो पाठक को सोचने को विवश करती हैं। डॉ. निर्मला जैन संतोष की कहानियों की सहज पठनीयता व आभासहीनता उन्हें विशिष्ट बनाती है। प्रत्येक कहानी एक-दूसरे से भिन्न है। वस्तुतः ये कहानियाँ जीवन यात्राएँ हैं। कथ्य का वैविध्य संतोष की विशिष्ट उपलब्धि है। श्रवण कुमार संतोष की कहानियाँ अपनी तरह की विशिष्ट हैं, जिनकी बनावट बहुत महीन है; वे मन के सूक्ष्म-से-सूक्ष्म तार पकड़ती हैं। ये कहानियाँ सरल रेखीय नहीं है। जटिल से जटिलतर समस्याओं से दो चार होती हैं, फिर भी सहज व सरल होती हैं। चंद्रकांता आज दोराहे पर खड़ी तनावग्रस्त स्त्री की वेदना को व्यक्त करती ये कहानियाँ संतोष को विशिष्ट कहानीकार बनाती हैं। मानव मन के विभिन्न अध्यायों का इतना बारीक व महीन अध्ययन और चित्रण संतोष की अतिरिक्त विशेषता है।
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Stories;