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अपने क़लम की एक-एक जुम्बिश से सौ-सौ जादू जगाने वाली मशहूर अफ़साना-निगार इस्मत चुगश्ताई ने अपने इस ताज़ातरीन नाविल को समाज की फ़र्सूदा-रवायात से आज़ाद हो कर ‘दिल की दुनिया’ आबाद की है - यह एक दोशीज़ा की कहानी है जिसे शादी के बाद शौहर ने छोड़ दिया था। जिसे मज़हब और समाज की ग़लत क़द्रों के दरमियान रास्ता न सूझता था लेकिन जिसने अपनी ही जैसी एक बदनसीब ज़िन्दगी से तहरीक पाकर अपने चारों तरफ़ रौशनी का हाला बुन दिया। एक नाक़ाबिले- फ़रामोश दास्तान!
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Novel;
Fiction;