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कोहबर की शर्त एक ऐसा उपन्यास है, जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो गाँवों-बलिहार और चौबेछपरा-का जनजीवन गहन संवेदना और आत्मीयता के साथ चित्रित हुआ है-एक रेखांकन की तरह, यथार्थ की आड़ी-तिरछी रेखाओं के बीच झांकती-सी कोई छवि या आकृति ! यह आकृति एक स्वप्न है ! इसे दो युवा हृदयों ने सिरजा था ! लेकिन एक पिछड़े हुए समाज और मूल्य-विरोधी व्यवस्था में ऐसा स्वप्न कैसे साकार हो ? चन्दन के सामने ही उसके स्वप्न के चार टुकड़े-कुंवारी गुंजा, सुहागिन गुंजा, विधवा गुंजा और कफ़न ओढ़े गुंजा-हो जाते हैं ! इतना सब झेलकर भी चन्दन यथार्थ की कठोर धरती पर पूरी दृढ़ता और विश्वास से खड़ा रहता है !
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Novel;
Fiction;