Machhali Mari Hui : Stri Samlaingita Ko Rekhankit Karta Upanyas

Machhali Mari Hui : Stri Samlaingita Ko Rekhankit Karta Upanyas

₹ 351 ₹395
Shipping: Free
  • ISBN: 9788126705696
  • Edition/Reprint: 8th
  • Author(s): Rajkamal Chaudhary
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Product ID: 567725
  • Country of Origin: India
  • Availability: Sold Out

About Product

‘मछली मरी हुई’ राजकमल चौधरी का एक ऐसा उपन्यास है जो प्रकाशित होते ही चर्चा में आ गया और वह चर्चा आज भी जारी है। लीक से हटे हुए इस उपन्यास की विशेषता है कि इसमें कोई विषय नहीं है, विषय प्रस्ताव है - मात्र विषय प्रस्ताव! यह उपन्यास अपने समय के अन्य हिन्दी उपन्यासों में इसलिए भी विशिष्ट है कि अपने औपन्यासिक पैकर (ढाँचे) में मानवीय मनोवृत्तियों की जटिलताओं का जिस सरलता से उद्घाटन करता है, उसी सरलता से अपने देश-काल-परिवेश का परिचय भी देता है। इसमें द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरन्त बाद के कलकत्ता शहर के उद्योग-जगत का प्रामाणिक और सजीव चित्रण प्रस्तुत है। उपन्यास का प्रमुख पात्र निर्मल पद्मावत हिन्दी उपन्यास साहित्य का अविस्मरणीय चरित्र है। हिंस्र पशुता और संवेदनशीलता, आक्रामकता और उदासी, सजगता और अजनबीपन, शक्ति और दुर्बलता का ऐसा दुर्लभ मिश्रण हिन्दी के शायद ही किसी उपन्यास में मिलेगा। ‘मछली मरी हुई’ के अधिकांश पात्र मानसिक विकृतियों के शिकार हैं, पर उपन्यासकार ने उनके कारणों की तरफ़ संकेत कर अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। यह प्रतिबद्धता उद्योगपतियों के व्यावसायिक षड्यन्त्र, भ्रष्ट आचरण आदि की विवेकपूर्ण आलोचना के रूप में भी दिखाई देती है। इस उपन्यास के केन्द्रीय पात्र निर्मल पद्मावत की कर्मठता, मजदूरों के प्रति उदार दृष्टिकोण, छद्म आचरण के प्रति घृणा, किसी भी हालत में रिश्वत न देने की दृढ़ता, ऊपर से हिंस्र जानवर जैसा दिखने पर भी अपनी माँ, पत्नी और अन्य स्त्रियों के प्रति गहरी संवेदनशीलता - ये सारी बातें उपन्यासकार के गहरे नैतिकता-बोध के प्रमाण हैं। इस उपन्यास को स्त्री-समलैंगिकता पर केन्द्रित एक श्रेष्ठ कृति के रूप में भी माना गया है। अपनी रोचकता और शैली का अछूतापन इस उपन्यास की सम्भवतः ऐसी विशेषता है जिससे यह उपन्यास कालजयी प्रमाणित हुआ है।

Tags: Novel; Fiction;

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