About Product
पाकिस्तान मेल भारत-विभाजन की त्रासदी पर केंद्रित पाकिस्तान मेल सुप्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार खुशवंत सिंह का अत्यंत मूल्यवान उपन्यास है। सन् 1956 में अमेरिका के ‘ग्रोव प्रेस एवार्ड’ से पुरस्कृत यह उपन्यास मूलतः उस अटूट लेखकीय विश्वास का नतीजा है, जिसके अनुसार अंततः मनुष्यता ही अपने बलिदानों में जीवित रहती है। घटनाक्रम की दृष्टि से देखें तो 1947 का भयावह पंजाब! चारों ओर हजारों-हजार बेघर-बार भटकते लोगों का चीत्कार! तन-मन पर होनेवाले बेहिसाब बलात्कार और सामूहिक हत्याएँ! लेकिन मजहबी वहशत का वह तूफान मनो-माजरा नामक एक गाँव को देर तक नहीं छू पाया; और जब छुआ भी तो उसके विनाशकारी परिणाम को इमामबख्श की बेटी के प्रति जग्गा के बलिदानी प्रेम ने उलट दिया। उपन्यास के कथाक्रम को एक मानवीय उत्स तक लाने में लेखक ने जिस सजगता का परिचय दिया है, उससे न सिर्फ उस विभीषिका के पीछे क्रियाशील राजनीतिक और प्रशासनिक विरूपताओं का उद्घाटन होता है, बल्कि मानव-चरित्र से जुड़ी अच्छाई-बुराई की परंपरागत अवधारणाएँ भी खंडित हो जाती हैं। इसके साथ ही उसने धर्म के मानव-विरोधी फलसफे और सामाजिक बदलाव से प्रतिबद्ध बौद्धिक छद्म को भी उघाड़ा है। संक्षेप में कहें तो अंग्रेजी में लिखा गया खुशवंत सिंह का यह उपन्यास भारत-विभाजन को एक गहरे मानवीय संकट के रूप में चित्रित करता है; और अनुवाद के बावजूद उषा महाजन की रचनात्मक क्षमता के कारण मूल-जैसा रसास्वादन भी कराता है।
Tags:
Novel;
Fiction;