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योग-साधना के संबंध में आज भी बहुत सी भ्रांत धारणाएँ जन-साधारण के बीच प्रचलित हैं। आम जन-मानस योग का संबंध विरक्त साधु-संन्यासियों के उपयोग तक ही सीमित मानता है। इसी प्रकार हठयोग के संबंध में भी जन-साधारण में यही भ्रांत धारणा है कि ‘हठयोग’ का अर्थ हठात् अर्थात् हठ (विशेष आग्रह) पूर्वक योगाभ्यास करने से है। योग तथा हठयोग से संबंधित इन सभी भ्रांत धाराणाओं को निर्मूल सिद्ध करने तथा इनसे संबंधित सभी आवश्यक तथ्यों और तत्त्वों से जन-साधारण को अवगत कराने की दृष्टि से इस पुस्तक का विशेष महत्त्व है। आशा है कि योग-जिज्ञासु गण इस कृति के माध्यम से हठयोग साधना के विभिन्न विषयों को आसानी से समझ सकेंगे। योग-साधना संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए हमारे ऋषियों-महर्षियों और महान् योगियों द्वारा प्रचारित विशिष्ट रसायन है, जिसका सेवन हर देश, काल, जाति, लिंग, वर्ण, समुदाय, संप्रदाय एवं पंथ के लोगों के लिए सुलभ और उपादेय है।.
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Yoga;