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शरीर आत्मा का आधार है, पड़ाव है, विश्रामस्थल है, मंजिल नहीं; फिर भी मंजिल न मिलने तक उसे इस आधार की आवश्यकता है । रुकने और विश्राम करने की, अपने आपको तरोताजा करने की, अपनी हँसी-खुशी, स्वास्थ्य-सुविधा बनाए रखने की उसे महती आवश्यकता है, ताकि वह एक दिन अपनी मंजिल पा सके । इस पुस्तक में शरीर विज्ञान एवं योगासन संबंधी अनेक उपयोगी जानकारियाँ दी गई हैं । चित्रों सहित विषय को समझने की सर्वथा एक नवीन शैली में प्रस्तुति इसलिए उपयुक्त लगेगी कि आप इसे अपनी मुविधा के अनुसार पढ़-समझ सकेंगे । आप मनन कर, इसका पालन कर सकने का संकल्प लें, निरंतर अपनी यात्रा जारी रखें और एक दिन अपनी मंजिल पा लें । पुस्तक में योगासनों के साथ-साथ कुछ ऐसी सामग्रियों का भी समावेश किया गया है, जिनके मनन मात्र से आपका जीवन असीम कार्यक्षमता और आनंदमय उल्लास से भर उठेगा । अति सरल भाषा, विशिष्ट शैली, गंभीर वैज्ञानिक विश्लेषण और सुबोध व्याख्या स्वामी अक्षय आत्मानंदजी की पुस्तकों की ऐसी विशेषताएँ हैं, जिनसे पाठक उनकी योग संबंधी पुस्तकों को रुचिपूर्वक पढ़ते हैं । हमें पूर्ण विश्वास है कि प्रस्तुत पुसाक को पढ़ने के बाद आप भी योग-विद्या में स्वयं को प्रवीण पाएँगे ।.
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Yoga;