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चीन आज भारत के लिए एक बाह्य सुरक्षा संकट होने के साथ ही आतंकवाद का पोषक व गंभीर आर्थिक चुनौतियों का कारण भी बनता जा रहा है। सन् 1962 में आक्रमण करके हमारे 38, 000 वर्ग किमी. क्षेत्रफल अक्साई चिन के पठार पर अधिकार कर लेने के बाद आज भी वह भारत की 90, 000 वर्ग किमी. भूमि को जब चाहे अपना कहकर हमारी सीमा में घुसपैठ भी करता रहता है। चीन की ऐसी भारत विरोधी व शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के उपरांत भी जिस प्रकार भारत के बाजारों में आज सब प्रकार के चीनी उत्पादों की बाढ़-सी आई हुई है, यह और भी अधिक चिंताजनक है। एक-एक करके देश के कई उद्योग व उद्योग संकुल (इंडस्ट्री क्लस्टर्स) चौपट होते जा रहे हैं। देश में साइकिल उद्योग, खिलौना उद्योग, फर्नीचर उद्योग, स्टेशनरी उद्योग और काँच के उद्योग से लेकर इलेक्ट्रॉनिक व विद्युत् उपकरणपर्यंत अनगिनत व लगभग सभी प्रकार के उद्योग चीनी आयातों व राशिपतन (डंपिंग) से प्रभावित हो रहे हैं। चीन की ओर से आर्थिक एवं भू-राजनैतिक चुनौतियों से आगाह करनेवाली एक पठनीय पुस्तक|
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International Relations and Politics;